व्याकरण किसे कहते हैं | परिभाषा, भेद और अंग | hindi vyakaran
व्याकरण किसे कहते हैं? vyakaran-kise-kahate-hain.
परिभाषा: जिसके अध्ययन से हमें शुद्ध – शुद्ध बोलना और लिखना आता है, उसे व्याकरण कहते हैं। किसी भी विषय की व्याकरण के अध्ययन से हमें उनके भाषा के लिखित तथा मौखिक रूपों की विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।
किसी भी भाषा को शुद्ध – शुद्ध लिखने और बोलने के लिए हमें उस भाषा के विषय के व्याकरण की पहले ज्ञान होना चाहिए ताकि हम उस भाषा को शुद्ध शब्द अर्थ के साथ उसका उच्चारण कर सकें। इसलिए हमें सबसे पहले व्याकरण की जानकारी होनी चाहिए।
हिन्दी व्याकरण को कितने भागों में बांटा जाता है?
हिन्दी में व्याकरण को मुख्यत: चार भागों में बांटा जाता है:-
( १ ) वर्ण विचार (Orthography): वर्ण विचार में वर्णों या ध्वनियों की परिभाषा, उनकी मानक लिपि, संख्या, भेद और आपसी संयोग आदि का विस्तृत अध्ययन किया जाता हैं।
वर्ण विचार व्याकरण के सबसे मूलभूत इकाई है यहीं से हम सभी व्याकरण के भाषा को लिखने और बोलने का प्रयास करते हैं और अनंतः अभ्यास करते करते हम इनके उच्चारण को कर लेते हैं और लिख भी लेते हैं। वर्ण से निकलने वाली ध्वनियों को हम खंड या टुकड़े नहीं कर सकते। अर्थात् जिस ध्वनि के खंड या टुकड़े नहीं किए जा सकते उसे हम वर्ण के नामों से जानते हैं। जैसे:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ,
ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:
क्, ख्, ग्, घ्, ङ्
च् , छ्, ज् , झ्, ञ्
ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्
त्, थ्, द्, ध्, न
प्, फ्, ब्, भ्, म्
य्, र्, ल्, व्, श्, ष्,
स्, ह्, क्ष्, त्र्, ज्ञ्
ङ, श्र, ढ़, ड़ ।
यहां ये वर्ण स्वर वर्ण कहलाते है:
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ,
ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:
यहां ये वर्ण व्यंजन वर्ण कहलाते है, जिसके उच्चारण में स्वर वर्ण की सहायता होती है:
क्, ख्, ग्, घ्, ङ्
च् , छ्, ज् , झ्, ञ्
ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्
त्, थ्, द्, ध्, न
प्, फ्, ब्, भ्, म्
य्, र्, ल्, व्, श्, ष्,
स्, ह्, क्ष्, त्र्, ज्ञ्
ङ, श्र, ढ़, ड़ ।
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वर्ण किसे कहते हैं? वर्ण के परिभाषा, भेद, प्रयोग एवं नियम
( २ )शब्द विचार (Etymology): शब्द विचार में शब्दों की परिभाषा, भेद, व्युत्पत्ति, रचना, रूपांतर, प्रयोग, अर्थ आदि का अध्ययन किया जाता है।
शब्द विचार व्याकरण के दूसरा सबसे मूलभूत इकाई है वर्ण के बाद शब्द बहुत महत्त्वपूर्ण होता है, यहीं से हम सभी प्रकार के व्याकरण शब्दों को लिखने और बोलने का प्रयास करते हैं और अनंतः अभ्यास करते करते हम इनके सभी शब्दों को लिख और पढ़ लेते हैं। वर्णों या ध्वनियों के सार्थक मेल से ही एक शब्द कोष का निर्माण होता है। यदि सार्थक मेल न हो, तो निरर्थक शब्द बनते हैं और उनका हिन्दी व्याकरण में कोई अर्थ नहीं रह जाता। जैसे एक उदाहरण से समझते हैं –
सार्थक मेल सार्थक शब्द
क+ल+म = कलम (लिखने की वस्तु)
क+म+ल = कमल ( एक प्रकार का फूल)
निरर्थक मेल निरर्थक शब्द
ल+क+म = लकम (हिन्दी भाषा में कोई अर्थ नही)
म+क+ल = मकल ( हिन्दी भाषा में कोई अर्थ नही)
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शब्द विचार किसे कहते हैं? शब्द के परिभाषा, भेद, प्रयोग एवं नियम
( ३ ) वाक्य विचार (Syntax): वाक्य विचार में वाक्य की परिभाषा, भेद, बनावट, शुद्धता आदि का अध्ययन किया जाता हैं।
सार्थक शब्दों का एक क्रमबद्ध समूह, जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, उसे वाक्य कहते हैं। जैसे –
राम पुस्तक पढ़ता है (यदि वाक्य में शब्द क्रमबद्ध ना होता तो भाव स्पष्ट नहीं होता) जैसे – पढ़ना राम है पुस्तक। ( इन्हें क्रमबद्ध रूप में नहीं सजाया गया है इसलिए इस वाक्य से कोई भाव स्पष्ट नहीं होता है।)
( ४ ) चिन्ह् विचार (Punctuation): चिन्ह् विचार में इनके विभिन्न चिन्हों एवं उनके प्रयोग का अध्ययन किया जाता हैं। चिन्ह् विचार को विराम चिन्ह् भी कहते हैं।
विराम चिन्ह का प्रयोग वाक्यों के अर्थ को सही-सही समझने के लिए विराम चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। विराम चिन्ह के बिना वाक्य का अर्थ अपूर्ण तथा भ्रामक होता है। जिसका कोई अर्थ नहीं होता है।
कुछ प्रमुख विराम चिन्ह नीचे दिए गए हैं-
१. अल्पविराम (Comma) – ( , )
२. अर्द्धविराम (Semi Colon) – ( ; )
३. पूर्णविराम (Full Stop) – ( । )
४. प्रश्नवाचक चिन्ह् (Mark of Interrogation) – ( ? )
५. विस्मयादिबोधक चिन्ह् (Mark of Exclamation) – ( ! )
६. संयोजक चिन्ह् (Hyphen) – ( – )
आगे के अध्याय में हम व्याकरण के वर्ण विचार, शब्द विचार, वाक्य विचार और चिन्ह् विचार का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
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