क्रिया की परिभाषा और भेद | kriya kise kahate hain
क्रिया के परिभाषा :
जिस शब्द से किसी काम के करने या होने का बोध हो, तो क्रिया कहते है। जैसे – खाना, पीना, हंसना, रोना, उठना, बैठना आदि।
वाक्यों में इनका प्रयोग विभिन्न रूपों में होता है; जैसे –
खाना – खाता, खाती, खाते, खाया / खाई, खाये / खाए, खाऊं आदि।
उदाहरण: उसने भात खाया। ( खाया – क्रिया )
मैंने रोटी खाई। ( खाई – क्रिया )
नोट: क्रिया के विभिन्न रूप कैसे बनते हैं इसे समझने के लिए धातु की जानकारी आवश्यक है। इसे जानने के लिए यहां क्लिक करें –
क्रिया के भेद
क्रिया के दो भेद होते हैं – ( 1 ) सकर्मक क्रिया ( Transitive Verb ), ( 2 ) अकर्मक क्रिया ( Intransitive Verb ) ।
( 1 ) सकर्मक क्रिया ( Transitive Verb ) :
जिस क्रिया के साथ कर्म हो या कर्म के रहने की संभावना हों, उसे सकर्मक क्रिया कहते है। जैसे – खाना, पीना, पढ़ना, लिखना, गाना, बजाना, मारना, पीटना आदि।
उदाहरण: वह आम खाता है।
प्रश्न: वह क्या खाता है?
उत्तर: वह आम खाता है।
नोट: यहां कर्म ( आम ) हैं या किसी न किसी कर्म के रहने की संभावना है, अतः ( खाना ) सकर्मक क्रिया हैं।
( 2 ) अकर्मक क्रिया ( Intransitive Verb ) :
जिस क्रिया के साथ कर्म न हो या कर्म के रहने की संभावना न हों, उसे अकर्मक क्रिया कहते है। जैसे – आना, जाना, रोना, हँसना, सोना, जगना, टहलना आदि।
उदाहरण: वह रोता है।
प्रश्न: वह क्या रोता है?
ऐसा न तो प्रश्न होगा और न इसका कुछ उत्तर।
यहां कर्म कुछ नहीं है और न किसी कर्म के रहने की संभावना है, अतः ( रोना ) अकर्मक क्रिया हैं।
लेकिन, कुछ अकर्मक क्रियाओं ( रोना, हँसना, जगना, सोना, टहलना आदि ) में प्रत्यय जोड़कर सकर्मक बनाया जाता है। जैसे – रुलाना, हँसाना, जगाना, सुलाना, टहलाना आदि।
रो (ना) + लाना = रुलाना ( वह बच्चें को रुलाता है। )
जग (ना) + आना = जगाना ( वह बच्चें को जगाता है।
क्रिया के अन्य भेद –
सहायक क्रिया – मुख्य क्रिया की सहायता करनेवाली क्रिया को सहायक क्रिया कहते है। जैसे – हूं, है, हैं, रहा, रही, रहें, था, थी, थीं, थे आदि।
उदाहरण:
मैं खा रहा हूं। ( रहा, हूं – सहायक क्रिया )
वह पढ़ता है। ( है – सहायक क्रिया )
यहां मुख्य क्रियाएं ( खाना ) और ( पढ़ना ) हैं, जिनकी सहायता सहायक क्रियाएं कर रही हैं।
मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया के संबंध में कुछ और बातें हैं, जिन्हें समझना आवश्यक है –
1. किसी वाक्य में सहायक क्रिया हो या न हो, एक मुख्य क्रिया अवश्य होती है। जैसे –
वह पटना गया। ( गया – मुख्य क्रिया )
उसने शुभम् से कहा। ( कहा – मुख्य क्रिया )
2. हूं, है, हैं, था, थी, थीं, थे आदि सहायक क्रियाएं है, लेकिन किसी वाक्य में कोई दूसरी क्रिया न हो, तो इनमें से कोई मुख्य क्रिया के रुप में प्रयुक्त होती है। जैसे –
मैं खाता हूं। ( हूं – सहायक क्रिया )
मैं अच्छा हूं। ( हूं – मुख्य क्रिया )
उसने खाया हैं। ( हैं- सहायक क्रिया )
उसे एक कलम है। ( है – मुख्य क्रिया )
3. संयुक्त क्रिया में प्रथम क्रिया मुख्य क्रिया होती है और बाकी सहायता करनेवाली सहायक क्रियाएं है। जैसे – वह बैठ गया था। ( बैठ गया – संयुक्त क्रिया )
यहां ‘ बैठ ‘ ( बैठना ) मुख्य क्रिया है। ‘ गया ‘ ( जाना ) और ‘ था ‘ सहायक क्रियाएं है।
पूर्वकालिक क्रिया –
जब कर्ता एक क्रिया को समाप्त कर उसी क्षण कोई दूसरी क्रिया आरंभ करता है, तब पहली क्रिया पूर्वकालिक क्रिया कहलाती हैं। जैसे – खाकर, पढ़कर, लिखकर, सोकर, जागकर, आकर, जाकर आदि।
उदाहरण:
वह खाकर सोने गया। ( खाकर – पूर्वकालिक क्रिया )
वह आकर बैठ गया। ( आकर – पूर्वकालिक क्रिया )
प्रेरणार्थक क्रिया –
जिस क्रिया से यह ज्ञात हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी दूसरे को कार्य करने के लिए प्रेरित करता है, तो उस क्रिया को प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं। जैसे –
उदाहरण:
मां बच्चें को खिलाने आई हैं। ( खिलाने – प्रेरणार्थक क्रिया )
वह पत्र लिखवा रहा है। ( लिखवा – प्रेरणार्थक क्रिया )